आर्थिक परिषद का गठन 8 अक्टूबर को, पंजीकरण शुरू
आर्थिक परिषद 2025-26: हुनर आधारित शिक्षा का नया आयाम
अर्थशास्त्र विभाग में 2019-20 से निरंतर संचालित हो रही आर्थिक परिषद केवल एक स्टूडेंट क्लब नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ सिद्धांत और व्यवहार का सुंदर समन्वय होता है। परिषद की बहुविध भूमिका ने इसे विभाग की रीढ़ बना दिया है। विगत वर्षों में आर्थिक परिषद के माध्यम से विभाग में एक सुदृढ़ मेंटरशिप प्रणाली संचालित की गई है, जिससे वरिष्ठ और नवागत छात्रों के बीच ज्ञान का सेतु निर्मित हुआ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में भी आर्थिक परिषद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे शिक्षा में नवाचार और समग्र विकास को बढ़ावा मिला है।
आर्थिक परिषद का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विभाग और परिषद द्वारा आयोजित विविध शैक्षणिक गतिविधियों में प्रतिनिधि के रूप में शामिल कर उनकी लर्निंग को एन्हांस करना है। विगत वर्षों में परिषद के माध्यम से आमंत्रित व्याख्यान, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, चर्चा-परिचर्चा और स्टूडेंट सर्किल जैसी नवोन्मेषी गतिविधियों का सफल आयोजन हुआ है। हर वर्ष परिषद के विद्यार्थी स्टूडेंट क्लासरूम सेमिनार का न केवल आयोजन करते हैं, बल्कि कुशल आयोजकों की भांति विभाग की सजावट से लेकर सेमिनार के पेपर तक, प्रेजेंटेशन से लेकर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी तक की जिम्मेदारी निभाते हैं। साथ ही परिषद के रजिस्टर पर कार्यवाही विवरण लिखकर अपनी क्षमताओं को प्रकट करते हैं।
विगत वर्ष में भारतीय ज्ञान परंपरा में आर्थिक विमर्श शीर्षक पर मेघा वर्मा और अन्य साथियों ने मिलकर एक क्लासरूम सेमिनार का आयोजन किया, जिसकी संपूर्ण गतिविधियों का संचालन आर्थिक परिषद द्वारा तैयार किया गया था। पूर्व के वर्षों में मेघा वर्मा, दीपू कुमार, दुर्गा तिवारी, खुशी मानिकपुरी, पूजा राठौर, गंगोत्री सिंह, सुभा मिश्रा, रीनू देवी, संतोषी राठौर, भारती सिंह गोंड, अर्चना तिवारी, नत्थू लाल, देवकी पनिका, भारती राठौर, अंकिता पासी, डीलन मरावी, राधा वर्मा, रीना बाई, पूजा दाहिया, जानकी देवी और पार्वती सिंह जैसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी कोर सदस्यों तथा सदस्यों के रूप में शामिल रहे हैं, जिन्होंने परिषद को मजबूती प्रदान की।
आर्थिक परिषद में भागीदारी से विद्यार्थियों में अनेक प्रकार के कौशलों का विकास होता है। विभाग को सजाते हुए वे डेकोरेशन सीखते हैं, ब्रोशर बनाते हैं - हाथ से भी और कंप्यूटर से भी, रंगोली बनाते हैं जो एक कला है। रिसर्च पेपर तैयार करते हैं, प्रेजेंटेशन देते हैं, वीडियो बनाते हैं, फोटोग्राफी करते हैं और सब कुछ शेड्यूल बनाकर पहले से ही निर्धारित करते हैं। इन आयोजनों से विद्यार्थियों में टीम भावना के साथ-साथ नेतृत्व कौशल का भी विकास होता है। इन आयोजनों में महाविद्यालय के अन्य विभागों से भी शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित होते हैं और प्रशंसा प्राप्त करते हैं, जिससे प्रतिभागियों का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
आर्थिक परिषद की सबसे उत्कृष्ट विशेषता यह है कि यह दोहरे स्तर पर अंतराल को दूर करती है। विद्यार्थियों के मध्य जो कक्षाओं का ऊर्ध्वाधर अंतर होता है, वह आर्थिक परिषद में समाप्त हो जाता है क्योंकि यहाँ सब एक ही धरातल पर होते हैं। जब BA प्रथम वर्ष में आया अर्थशास्त्र का कोई छात्र MA अंतिम वर्ष के छात्र से इंटरेक्ट करता है, तो उनके मध्य का जो गैप है वह खत्म हो जाता है। यहाँ एक साथ कोऑपरेटिव लर्निंग, पार्टिसिपेटरी लर्निंग और लर्निंग बाय डूइंग होता है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आत्मा के अनुरूप है। साथ ही, यह परिषद विद्यार्थियों और शिक्षकों के मध्य गैप को दूर करने में भी सहायक है, क्योंकि अनौपचारिक माहौल में शिक्षकों के साथ बेहतर संवाद स्थापित होता है।
इस वर्ष की आर्थिक परिषद में एक नया आयाम जोड़ा गया है। विभागाध्यक्ष प्रीति वैश्य ने बताया है कि इस साल आर्थिक परिषद हुनर आधारित होगी, जिसमें विद्यार्थियों की विशिष्ट प्रतिभाओं और रुचियों को प्राथमिकता दी जाएगी। विभाग के संकाय सदस्य डॉ. अमित भूषण द्विवेदी ने बताया है कि गूगल फॉर्म के माध्यम से रजिस्ट्रेशन 7 अक्टूबर तक किया जा सकता है, वहीं ऑफलाइन पंजीकरण कार्यक्रम के शुरू होने तक विभाग में संभव होगा।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अनिल कुमार सक्सेना ने विद्यार्थियों को अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की हैं और आर्थिक परिषद की इस पहल को संस्थागत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया है। आर्थिक परिषद के पिछले सत्र के बाह्य ऑब्जर्वर प्रोफेसर विनोद कुमार कोल ने विद्यार्थियों की गतिविधियों की गुणवत्ता की विशेष सराहना की है और कहा है कि ऐसी पहल अन्य विभागों के लिए प्रेरणास्रोत है।
आर्थिक परिषद केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि छात्र जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाने का माध्यम है। यह वह मंच है जहाँ सिद्धांत व्यवहार में बदलता है, कक्षा का ज्ञान कौशल बनता है, और विद्यार्थी भविष्य के लिए तैयार होते हैं। सत्र 2025-26 में हुनर आधारित परिषद के साथ एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। यदि आप अर्थशास्त्र के छात्र हैं और अपने कौशल को निखारना चाहते हैं, अपने व्यक्तित्व को नया आयाम देना चाहते हैं, और विभाग की सेवा करते हुए अमूल्य अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं, तो आर्थिक परिषद आपके लिए आदर्श मंच है। आज ही गूगल फॉर्म भरें या 8 अक्टूबर को सुबह 11 बजे विभाग में उपस्थित होकर इस शैक्षणिक यात्रा का हिस्सा बनें।
"शिक्षा वह है जो किताबों में पढ़ी गई बातों को भूल जाने के बाद भी याद रहे।" - अल्बर्ट आइंस्टीन
आर्थिक परिषद में यही शिक्षा मिलती है - वह अनुभव जो जीवन भर काम आता है।
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