सोन सी रेत लिए चलने वाली नदी सोन-अमित भूषण
अमरकंटक (जिला-अनूपपुर) से माता नर्मदा नदी के अलावा जो अन्य दो नदियाँ निकलती हैं उनका नाम सोन तथा जोहिला नदी है। वर्षों से नदी ने इधर के पहाड़ों का अपरदन करते हुए अपनी तलहटी में स्वर्ण अर्थात सोने जैसी बालू बिछाई है। अमरकंटक के सोनमुड़ा से निकलने वाली तथा सोने जैसी बालू अपने तलछट में बिछाते हुए चलने वाली सोन नदी के किनारे अनूपपुर, सोनभद्र तथा सोनपुर मुख्य शहर हैं। सोन गंगा की सहायक नदी है और यह बिहार में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। इससे पहले सोन नदी अपने उद्गम से निकलने के बाद छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने के पश्चात पुनः मध्यप्रदेश में प्रवेश करती है। अनूपपुर के जैतहरी स्थित क्याटार में मोजर बेयर द्वारा एक सब सुपर थर्मल पावर प्लांट संचालित किया जा रहा है।
इस पावर प्लांट के लिए जल सोन नदी से लिया जा रहा है। अनूपपुर के ही चचाई नामक स्थान पर इस नदी पर एक डैम बनाकर ताप विद्युत पैदा करने का एक संयंत्र लगा हुआ है, जिसे कोयला एसईसीएल से प्राप्त होता है। इसी प्रकार इसी नदी के जल के उपयोग से अनूपपुर तथा शहडोल जिले की सीमा पर सीके बिड़ला समूह की ओरिएंट पेपर मिल व कास्टिक सोडा इकाई भी अमलाई में संचालित है। आगे चलकर शहडोल में इस नदी पर बाणभट्ट के नाम से बाणभट्ट बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भी संचालित है। बाणभट्ट परियोजना तीन राज्यों की संयुक्त परियोजना है। कोई भी उद्योग वहाँ स्थानीयकृत होता है जहाँ उसके लिए कच्चे माल के संसाधनों का स्रोत सर्वसुलभ हो। मैं जिस क्षेत्र में रहता हूँ यहाँ नदियाँ हैं, जल है, जंगल है, पहाड़ हैं, कोयला है… इसी लिए यह क्षेत्र कोयला, विद्युत, कागज और लघु एवं कुटीर उद्योगों का क्षेत्र है। इस नदी पर पेयजल हेतु भी एक बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट संचालित है।
नदियाँ जहाँ होती हैं, जहाँ से होकर गुजरती हैं उससे कहीं दूर तक की जीवन रेखा को संचालित करती हैं। हमें नदियों को प्रदूषित करने से बचना चाहिए। नदियाँ हमारी परम पवित्र धरोहर हैं।
-डॉ अमित भूषण द्विवेदी
Comments
Post a Comment