विगत दिनों आर्थिक परिषद के बैनर को जारी करने के साथ ही एक संस्मरण जारी किया गया। इस संस्मरण को अमित भूषण ने लिखा है, नीचे संस्मरण पढ़ें-
आर्थिक परिषद: सत्र 2024-25
जब से मैं यहाँ हूँ, हर वर्ष विभाग में आर्थिक परिषद का गठन होता रहा है। सत्र 2024-25 के लिए भी परिषद का गठन किया गया, जिसका बैनर दीपू ने तैयार किया। इस कार्य के लिए मैं सबसे पहले दीपू का आभार प्रकट करता हूँ।
इस सत्र में महाविद्यालय में NAAC मूल्यांकन की प्रक्रिया भी चल रही थी। परिषद के सदस्यों ने इस मूल्यांकन की तैयारियों में विभाग का पूरा सहयोग दिया। रागिनी और संजना, जो पूर्व वर्षों में परिषद की संयोजक रही हैं, इस वर्ष कोर मेंबर्स और सामान्य मेंबर्स के रूप में परिषद का हिस्सा बनीं। मेघा, खुशी, गंगोत्री (दोनों), पूजा, दीपू, नत्थू, दुर्गा, अंकिता और राधा—सभी ने पूरे मन से कार्य किया।
प्रायः परिषद के माध्यम से केवल शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, लेकिन इस वर्ष हमने परिषद के सदस्यों को विभागीय सजावट में भी जोड़ा, विशेषकर NAAC के समय। और सच कहूँ तो, बच्चों ने मेरी अपेक्षाओं से कहीं बेहतर कार्य किया।
डीलन, नित्या और अंकिता ने स्टडी सर्कल का आयोजन किया; स्नातक चतुर्थ वर्ष और एम.ए. के विद्यार्थियों के बीच औद्योगिक विकास पर कैंपस डिबेट हुआ; मेघा, गंगोत्री, खुशी और पूजा ने "भारतीय ज्ञान परंपरा" विषय पर सेमिनार आयोजित किया। विभाग की ओर से पुस्तकालय और कंप्यूटर लैब का विजिट भी आर्थिक परिषद के सहयोग से संपन्न हुआ। दीपू ने तकनीकी पक्ष को पूर्ण रूप से संभाला।
एम.ए. फाइनल का वर्तमान बैच मेरे अत्यंत निकट है। संतोषी, भारती, रीनू, सुभा, अर्चना और वंशलाल—ये सभी पिछले पाँच वर्षों से विभाग का हिस्सा रहे हैं। इन वर्षों में विभाग में जो भी परिवर्तन आए हैं—चाहे वह रख-रखाव में हो या गुणवत्ता में—ये सभी विद्यार्थी उसके साक्षी हैं। गौरव जब Alumni मीटिंग में आए थे, तो उन्होंने यही बात कही: "सर, विभाग पूरी तरह बदल गया है।"
असल में, विभाग में आए हर परिवर्तन के मूल में यही आर्थिक परिषद रही है। इसी के माध्यम से विद्यार्थी न केवल सीखते हैं, बल्कि विभाग से गहराई से जुड़ते भी हैं। व्यक्तिगत रूप से, परिषद को लेकर मेरा एक ही नियम रहा है—सभी गतिविधियाँ शैक्षणिक हों। हालांकि इस वर्ष चतुर्थ वर्ष के छात्र-छात्राएँ फेयरवेल और टूर को लेकर थोड़े नाराज़ थे, वे कई बार इसका अनुरोध भी कर चुके थे। अंततः कुछ दिन पहले परिषद के सदस्यों से मैंने कहा—"ठीक है, फेयरवेल करा लीजिए।"
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आर्थिक परिषद नियमावली (संशोधन सत्र 2024-25)
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मार्गदर्शन:
आर्थिक परिषद का मार्गदर्शन महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक द्वारा किया जाएगा, जो परिषद के मेंटर होंगे।
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सदस्यता:
अर्थशास्त्र विभाग के सभी विद्यार्थी आर्थिक परिषद के सदस्य माने जाएंगे।
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वाह्य पर्यवेक्षक:
महाविद्यालय के किसी अन्य विभाग से एक प्राध्यापक को आर्थिक परिषद का बाह्य पर्यवेक्षक (External Observer) के रूप में नामित किया जाएगा।
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नेतृत्व विकास:
एकल मुख्य प्रतिनिधि की बजाय प्रत्येक विद्यार्थी को विभिन्न गतिविधियों में अलग-अलग जिम्मेदारियाँ सौंपी जाएँगी, जिससे उनका नेतृत्व कौशल विकसित हो सके।
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संचालन समिति:
परिषद का संचालन विद्यार्थियों की एक कोर समिति (Core Committee) के माध्यम से किया जाएगा।
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डिजिटल भूमिका:
परिषद से जुड़े विद्यार्थी अर्थशास्त्र विभाग के विभिन्न डिजिटल समूहों (जैसे WhatsApp, Telegram आदि) में एडमिन की भूमिका निभा सकते हैं।
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