नर्मदा जयंती विशेषांक-अमित भूषण

नर्मदा जयंती: एक विशेषांक लेख-अमित भूषण


नर्मदा जयंती, भारत के प्रमुख नदियों में से एक, माँ नर्मदा के सम्मान में मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से मध्यप्रदेश और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। नर्मदा नदी की पूजा का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है, क्योंकि इसे एक पवित्र नदी माना जाता है, जो जीवनदायिनी और शुद्धि की प्रतीक है। नर्मदा जयंती का पर्व नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह दिन नर्मदा नदी के अवतरण की घटना से जुड़ा हुआ है और इसे प्रकृति के साथ हमारे संबंधों का सम्मान करने का अवसर भी माना जाता है।

नर्मदा नदी का महत्व

नर्मदा नदी, जिसे 'माँ नर्मदा' के रूप में पूजा जाता है, मध्य भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह नदी लगभग 1,312 किलोमीटर लंबी है और मध्यप्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र से निकलकर गुजरात के खंभात खाड़ी में मिलती है। नर्मदा नदी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गहरे रूप से जुड़ी हुई है। यह नदी न केवल जीवनदायिनी है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है।

हिंदू धर्म में नर्मदा को 'नर्मदा माता' के रूप में पूजा जाता है, और इसे सात पवित्र नदियों में एक माना जाता है। नर्मदा नदी के किनारे बसे मंदिरों, तीर्थ स्थलों और आश्रमों के कारण यह स्थान आस्था का केंद्र बन चुका है। इसे 'दशमुखी' और 'सप्तधारा' के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसके पानी में सात प्रकार की विशेषताएँ होती हैं, जो व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए सहायक मानी जाती हैं।

नर्मदा जयंती की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता

नर्मदा जयंती, नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से संबंधित एक विशेष दिन होता है, जब भक्तगण नदी के तट पर स्नान करने, पूजा अर्चना करने और विशेष अनुष्ठान करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह पर्व, धार्मिक दृष्टि से, नर्मदा नदी की पवित्रता को मान्यता देने और उसके माध्यम से जीवन के शुद्धिकरण की भावना को प्रकट करने का एक अवसर है।

विशेष रूप से इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन नर्मदा नदी के पानी से स्नान करता है और श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन को लेकर धार्मिक स्थलों पर विशेष भव्य आयोजन होते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

नर्मदा के तीर्थ स्थल

नर्मदा नदी के किनारे स्थित तीर्थ स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी समृद्ध हैं। अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित नर्मदा कुंड से निकलने वाला पानी नर्मदा नदी के रूप में प्रवाहित होता है। अमरकंटक के साथ-साथ अन्य प्रमुख तीर्थ स्थल जैसे कि जबलपुर, मंडला, ओंकारेश्वर, महेश्वर, और खंभात इन सभी स्थानों पर नर्मदा नदी के प्रति श्रद्धा का विशेष महत्व है।

इन स्थानों पर स्थित प्राचीन मंदिर, घाट और अन्य धार्मिक स्थल नर्मदा नदी के साथ जुड़ी हुई कई किंवदंतियों और धार्मिक कथाओं को जीवित रखते हैं। यहाँ पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यात्रा करने आते हैं, विशेष रूप से नर्मदा जयंती के अवसर पर।

पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टि से नर्मदा

नर्मदा नदी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखती है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टि से भी इसका एक अहम स्थान है। यह नदी मध्यप्रदेश और गुजरात की जल आपूर्ति के प्रमुख स्रोतों में से एक है। इसके किनारे बसे गाँव और शहर जलवायु, कृषि, और जनजीवन के लिए अत्यधिक निर्भर हैं।

नर्मदा के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन इस नदी का जलस्तर घटने और प्रदूषण बढ़ने जैसी समस्याएँ भी सामने आई हैं। नर्मदा जयंती के दिन विशेष रूप से नर्मदा नदी के संरक्षण और सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व न केवल श्रद्धा और पूजा का अवसर है, बल्कि यह नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करने का भी एक माध्यम बनता है।

निष्कर्ष

नर्मदा जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक है। नर्मदा नदी, जो भारत की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, हमें प्राकृतिक संसाधनों की महत्ता और संरक्षण के प्रति जागरूक करती है। यह पर्व हमें न केवल आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करता है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदारी का अहसास भी कराता है।

इस जयंती के माध्यम से हम माँ नर्मदा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के साथ-साथ, उनकी पवित्रता और महत्ता को समझते हुए, उनके संरक्षण के प्रति अपनी भूमिका को भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

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