प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या है

--  प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या  --

 वैश्विक प्लास्टिक संधि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य-देशों द्वारा ‘समुद्र सहित पूरे पर्यावरण से प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने’ के लिए 2022 में पारित एक प्रस्ताव का नतीजा है. 

एक नजरिया था कि प्लास्टिक के उपयोगी होने और आधुनिक युग में बड़े पैमाने पर उपभोग को सक्षम बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद, इसका नष्ट न होने का गुण एक पर्यावरणीय खतरा है. यह जमीन और समुद्र, दोनों के प्राणियों के शरीर में प्रविष्ट होना शुरू हो गया है, और बेबस नगरीय रीसाइक्लिंग प्रणालियों से बाहर निकल रहे कूड़े के रूप में आंख की किरकिरी से कहीं बढ़कर हो चुका है।

बेहतर रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग से इस स्थिति से छुटकारा मिल जाने के दावे को ये राष्ट्र दिवा-स्वप्न मानते हैं, और इसलिए प्लास्टिक, वर्जिन पॉलीमर के स्रोत पर धीरे-धीरे कटौती लागू करना ही प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने का इकलौता प्रभावी रास्ता था.

हालांकि, कई बड़े विकसित देश, और तेल निकासी व पेट्रोकेमिकल रिफाइनिंग पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना चाहते.  वे प्लास्टिक उत्पादन में कटौती के आह्वानों को पर्यावरणवाद के भेष में छिपे व्यापार अवरोधों के रूप में देखते हैं. इस कारण, भले ही बातचीत रुक गयी है, लेकिन संभावना है कि ये देश अगले साल फिर मिलेंगे और ज्यादा सृजनात्मकता के साथ गतिरोध से बाहर निकलेंगे.

भारत ने उन देशों के साथ खड़ा होना चुना है जो उत्पादन कटौतियों के खिलाफ हैं.  पर, अर्थव्यवस्था के लिए प्लास्टिक की अपरिहार्यता,  इसकी इकोलॉजी और समुद्री पर्यावरण पर स्वास्थ्य संबंधी असर के मूल्यांकन को लेकर कार्रवाई में देरी का स्थायी बहाना नहीं हो सकती.   खुद को इतिहास की गलत तरफ पाने के मुकाबले योजनाबद्ध ढंग से बाहर निकलना हमेशा बेहतर होता है" ...

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