वे व्यक्ति जिन्होंने संघर्ष के बीच अपनी राह बनाई- डा अमित भूषण द्विवेदी
मैं अक्सर उन व्यक्तियों से प्रेरित होता हूं जिन्होंने आसपास के अत्यंत कठिन परिस्थितियों के बीच रहते हुए भी स्वयं तथा संसार के लिए महान कार्य कर वंचित जनों के लिए प्रेरणा स्रोत बने है। आज आपके साथ उन कुछ व्यक्तियों का नाम बता रहा हूं जिनसे मैं अलग-अलग कारणों से प्रेरित होता हूं । ऐसे पहले नाम है ऋषि अष्टावक्र। उनके शरीर के विभिन्न अंग आठ जगहों वक्राकार थे।
अष्टावक्र, अद्वैत वेदांत की अष्टावक्र गीता रचे थे। अष्टावक्र गीता का आरंभ राजा जनक के तीन प्रश्नों के पूछने से आरंभ होता है। अष्टावक्र के जीवन से हमें यह सिख मिलती है कि हमें किसी के भी शरीर के वाह्य प्रतिकृति के आधार पर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। क्योंकि, यह संभव है कि वह व्यक्ति विद्वान हों तथा यदि वह व्यक्ति विद्वान ना भी हो तो भी शारीरिकी के आधार पर भेद करना सर्वथा अनुचित है।
ऐसे ही एक दूसरे व्यक्ति जिनसे मैं प्रेरित होता हूं वे स्टीफन हॉकिन्स है।
इनके बारे में हम सभी जानते है , वे व्हील चेयर पर रहते हुए खाने,पीने,बोलने,चलने में समस्या के बाद भी उन्होंने समस्याओं का तकनीकी समाधान निकाला और वो वह कर गए जिसको कर सकना कम ही लोगों की बस की बात होती है।
एक अन्य ऐसे ही व्यक्ति है काफक्का जिनके साहित्य ना जाने कितने ही कमजोर व्यक्तियों के जीवन को संबल देती है। चुनौतियों के बीच वे अपनी रचनात्मक शक्ति को नहीं खोने देते है। और एक साहित्य का पूरा संसार रचते है। एक और व्यक्ति जिनसे मैं प्रेरित होता हूं वे है जॉन नैश...
जिन्होंने महान जोखिमकारी परिस्थितियों के बीच इकोनॉमिक्स में नोबेल पुरस्कार पाने तक की सफर पूर्ण किए है।
एक दूसरे अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन भी अपने युवावस्था में एक बीमारी से तब डायग्नोस हुए जब देश में अभी इलाज के लिए सुविधाएं आरंभ होनी ही शुरू हो रहीं थीं। भले ही ये सभी लोग अलग अलग क्षेत्र, वर्ग अथवा समूह से आते है किंतु, इनसे मैं प्रेरित होते रहता हूं।
इनके अलावा गौतम बुद्ध तथा बाबा साहब अम्बेडकर से मैं अन्य कारणों से प्रेरित रहता हूं। गौतम बुद्ध से मैं सम्यक विश्लेषण रीति सिख पाता हूं। आज के समय में अधिकांशों की यहीं समस्या है कि वे या तो इधर है या फिर उधर है। हमारी जो अपनी ज्ञानरीति सम्यक विश्लेषण है उस वर्ग में बहुत कम लोग है।कल्पना कीजिए कि यदि आज संविधान लिखा जाता तो जिसको जो मन में आता लिखवाते किंतु, जब बाबा साहब के हाथ में कलम थी तो उन्होंने इंसानियत के पक्ष में लिखा।
अर्थशास्त्र विभाग के लिए डॉक्टर अमित भूषण द्विवेदी की कॉलम से। लेखक अर्थशास्त्र विषय में पी एच डी है।
Comments
Post a Comment