10 मार्च को भारतीय ज्ञान परंपरा में आर्थिक विमर्श विषय पर छठा आर्थिक परिषद स्टूडेंट क्लासरूम सेमिनार का होगा आयोजन-अर्थशास्त्र विभाग
आर्थिक परिषद, अर्थशास्त्र विभाग, पी.एम. कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर द्वारा 10 मार्च को "छठा आर्थिक परिषद स्टूडेंट्स क्लासरूम सेमिनार" का होगा आयोजन
विषय परिचय:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा आर्थिक विषयों का समावेशन हुआ है। भारतीय ज्ञान परंपरा में यद्यपि को अर्थ अर्थात धन को प्राथमिक वस्तु के तरह नहीं देखा गया है फिर भी भारतीय ज्ञान परंपरा में आर्थिक विमर्श एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें भारतीय दर्शन, साहित्य, और प्राचीन शास्त्रों में निहित आर्थिक विचारों की विवेचना की जाएगी। विद्यार्थियों द्वारा किए जाने वाले इस क्लासरूम सेमिनार में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत आर्थिक सिद्धांतों का विकास हुआ और वर्तमान समाज में उनका क्या योगदान हो सकता है।
भारतीय अर्थशास्त्र परंपरा में हम अर्थ, नीति, व्यापार, और समाज के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण पाते हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक, भारतीय समाज में समृद्ध अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है, और यह विचारधारा आज के समकालीन आर्थिक परिप्रेक्ष्य से भी जुड़ी हुई है।
मुख्य उद्देश्य:
- भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित आर्थिक सिद्धांतों की पहचान करना।
- भारतीय संस्कृति और विचारधारा का आर्थिक विमर्श से संबंधित पहलुओं पर गहन अध्ययन करना।
- विद्यार्थियों को भारतीय अर्थव्यवस्था के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परिचित कराना।
- समकालीन समाज में भारतीय ज्ञान परंपरा के उपयोग और उसकी प्रासंगिकता को समझाना।
आयोजन का विवरण:
कार्यक्रम का नाम: छठा आर्थिक परिषद स्टूडेंट्स क्लासरूम सेमिनार
विषय: भारतीय ज्ञान परंपरा में आर्थिक विमर्श
तिथि: 10 मार्च 2025
समय: 11:00 बजे (सुबह)
स्थान: कक्ष क्रमांक 12, पी.एम. कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुरसं
योजन एवं आयोजन:
आर्थिक परिषद के प्रतिनिधि विद्यार्थी
संरक्षक/प्राचार्य:
प्रोफ. अनिल कुमार सक्सेना, प्राचार्य, शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर
मार्गदर्शन:
डॉक्टर अमित भूषण द्विवेदी, सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग
श्रीमती प्रीति वैश्य, प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग
मुख्य अतिथि:
डॉ.के. संत, विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग
विशिष्ट अतिथि:
डॉक्टर नीरज कुमार श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग
कार्यक्रम संचालन:
स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा मेघा वर्मा तथा टीम
कार्यक्रम की रूपरेखा:
1. उद्घाटन सत्र (11:00 - 11:15 AM):
- कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण से की जाएगी, जिसे कार्यक्रम संचालनकर्ता (मेघा वर्मा और टीम) द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
- प्राचार्य, प्रोफेसर अनिल कुमार सक्सेना का उद्घाटन भाषण
- प्रीति वैश्य के द्वारा आर्थिक परिषद तथा विद्यार्थी सेमिनार पर परिचयात्मक संबोधन
3. मुख्य अतिथि का संबोधन (11:15 - 11:30 A M):
- डॉक्टर जे.के. संत द्वारा संबोधन जिसमें वे भारतीय राजनीति और समाज में आर्थिक विचारों के प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
- भारतीय समाज में आर्थिक विमर्श की भूमिका और उसकी राजनीतिक प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत करेंगे।
4. विशिष्ट अतिथि का संबोधन (11:30 - 11:45 AM):
- डॉक्टर नीरज कुमार श्रीवास्तव द्वारा संबोधन जिसमें वे हिंदी साहित्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के संकेतों की चर्चा करेंगे और भारतीय साहित्य में आर्थिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेंगे।
2. विषय पर विद्यार्थियों के द्वारा व्याख्यान,पेपर प्रेजेनेटेशन तथा परिचर्चा (11:45 - 01:00 PM):
- पंजीकृत विद्यार्थियों के द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा में आर्थिक विमर्श पर परिचयात्मक व्याख्यान दिया जाएगा।
- भारतीय शास्त्रों, ग्रंथों और दर्शन में पाए गए आर्थिक सिद्धांतों पर चर्चा की जाएगी।
- इस सत्र में भारतीय अर्थशास्त्र और संस्कृति के बीच सम्बन्ध पर प्रकाश डाला जाएगा।
5. परिचर्चा सत्र (1:15 - 1:30 PM):
- छात्रों और अतिथियों के बीच संवाद और प्रश्नोत्तरी सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें छात्र अपने सवाल पूछ सकते हैं और विशेषज्ञों से उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
6. समापन एवं धन्यवाद ज्ञापन (1:30 - 1:45 PM):
- कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन किया जाएगा और कार्यक्रम के संयोजक की तरफ से सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया जाएगा।
आयोजन का महत्व:
यह सेमिनार विद्यार्थियों को भारतीय आर्थिक परंपरा के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करेगा और समकालीन आर्थिक मुद्दों पर विचार करने की दिशा में उन्हें सक्षम बनाएगा। साथ ही, यह सेमिनार भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को आर्थिक दृष्टिकोण से समझने का अवसर प्रदान करेगा।
सारांश:
इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित आर्थिक विचारों को उजागर करना और छात्रों को इन विचारों के ऐतिहासिक और समकालीन महत्व से अवगत कराना है। इस आयोजन के माध्यम से विद्यार्थियों को अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और भारतीय संस्कृति के आर्थिक दृष्टिकोण को समझने का अनमोल अवसर मिलेगा।
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